सरकार की परेशानी क्या क्या है, वो कैसे जूझती है। हम आप क्या जानें। लेकिन लेखक राकेश अचल सरकार की परेशानी कुछ-कुछ समझ रहे हैं। इसे पढ़कर आप भी उनसे समझ सकते हैं।
टमाटर इतना महंगा क्यों है? क्या सरकार इस पर नियंत्रण के प्रयास कर रही है और वह कामयाब नहीं हो पा रही है? क्या टमाटर ही महंगे हैं या फिर बाक़ी सब्जियाँ और दूसरी चीजें भी?
टमाटर की कीमतें अगले कुछ दिनों में कम हो सकती हैं। सरकार ने यह दावा किया है। सरकार ने अपनी खरीद एजेंसियों से कहा है कि वे दक्षिण भारत के राज्यों से टमाटर खरीदकर खुदरा उपभोक्ता केंद्रों के जरिए बेचें।
महंगाई वैसे भी काबू नहीं आ रही है और उस पर अब टमाटर की कीमतों ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है। टमाटर का इस्तेमाल सब्जियों में सबसे ज्यादा होता है, इसलिए इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
महंगाई बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है। दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के दावे भी किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि अमीर-गरीब की खाई को पाटे बिना आप ग्रोथ का फायदा अंतिम आदमी या औरत को कैसे दे पाएंगे। चीजों के दाम सस्ते नहीं हुए हैं। गरीब जनता का सरकारी आंकड़ों से कोई लेनादेना नहीं है। वो ये जानता है कि कि महंगाई कहां कम हुई है। पेश है आर्थिक विशेषज्ञ आलोक जोशी का नजरियाः
रिजर्व बैंक ने आज मौद्रिक नीति जारी कर दी है। उसने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। महंगाई में मामूली सुधार को देखते हुए आरबीआई ने लेंडिंग रेट नहीं बढ़ाया है।
कर्नाटक में आज एक तरफ मतदान चल रहा है तो दूसरी तरफ गैस सिलेंडर की पूजा चल रही है। कई मतदान केंद्रों के बाहर इस तरह के दृश्य दिखाई दिए। 2013 में नरेंद्र मोदी ने भी लोगों से महंगे गैस सिलेंडरों को नमस्कार करने को कहा था। पढ़िए पूरी कहानीः
नवंबर और दिसंबर में महंगाई कम होती दिखी थी तो क्या मुसीबत टल गई है? जनवरी में फिर से महंगाई बढ़ने और रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के क्या मायने हैं?
रिजर्व बैंक ने कहा महंगाई के बुरे दिन बीत गए। लेकिन क्या महंगाई की फिक्र भी खत्म हुई? कंज्यूमर कॉन्फिडेंस में सुधार दिख रहा है, लेकिन क्या इससे माल बिकने लगेगा? आज माइंड योर बिजनेस में इसी पर बात।
अक्टूबर महीने के महंगाई आंकड़े सोमवार को आने वाले हैं लेकिन उससे पहले ही शनिवार को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने संकेत दिया कि महंगाई का आंकड़ा अक्टूबर में कम हो सकता है। उनका अनुमान है कि यह 7 फीसदी से नीचे रहेगी। उन्होंने और क्या कहाः
दुनिया भर में महंगाई बढ़ रही है और इसका असर राजनीति पर भी पड़ रहा है। जानिए, आख़िर अमेरिका कैसे निपट रहा है और ब्रिटेन के दो प्रधानमंत्रियों ने कैसे निपटने की कोशिश की। भारत इनसे सबक़ लेगा?