कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लंदन भाषण को लेकर बीजेपी का शोर मचाना बता रहा है कि बीजेपी और मोदी सरकार भविष्य की राजनीति को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जिस तरह से संसद को बीजेपी ने ठप किया और उसके नेता राहुल गांधी के खिलाफ निम्नस्तरीय बयान दे रहे हैं, वो उनकी मनोदशा को दर्शाने के लिए काफी है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने उसी घटनाक्रम पर नजर डाली है।
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल को अब 'अमृतकाल' नाम दिया है तो विपक्षी दल इसे 'अघोषित आपातकाल' क़रार दे रहे हैं। आख़िर सच क्या है? विपक्षी दल आख़िर किस आधार पर यह आरोप लगा रहे हैं?
विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों या सवालों पर मुख्य धारा का मीडिया की रिपोर्टिंग क्या उसी तरह होती है जैसी बीजेपी के मुद्दों या सवालों की होती है? क्या मीडिया की भाषा में कुछ अंतर दिखता है?
कांग्रेस किस प्रकार की जनता के भरोसे मोदी सरकार से लड़ना चाहती है। सुविधाभोगी और संपन्न लोग कभी भी कांग्रेस के साथ खड़े होकर तानाशाह से नहीं लड़ने जाएंगे। उन्हें अपने आराम में खलल नहीं चाहिए। भारत का राजनीतिक इतिहास यही बताता है। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग का कहना है कि कांग्रेस को अपनी जनता का चुनाव भी बेहतर तरीके से करना होगा, जो हर संघर्ष में उसके साथ खड़ी हो सके।
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी सही या गलत है, इसका फैसला बहुत देर से आएगा। लेकिन जिस तरह और जिस अंदाज में यह पूरा मामला सामने आया है, उससे भारतीय लोकतंत्र के सहज होने के संकेत नहीं हैं। सिर्फ विपक्ष को भ्रष्ट साबित कर या घोषित कर अपने गिरेबान में न झांकने का यह तानाशाही अंदाज बहुत गंभीर खतरे की तरफ इशारा है।
क्या भारतीय लोकतंत्र खतरे में है। क्यों इसमें सुधार पर विचार किया जाना चाहिए। भारतीय संविधान कई बातों पर मौन क्यों है। कुछ ऐसे ही सवालों को उठाते हुए पत्रकार प्रेम कुमार और सत्य देव चौधरी ने मिलकर इन मुद्दों पर अपने विचार रखे हैं। आप भी जानिए।
देश में बहस चल रही है कि राहुल गांधी अपनी लंदन यात्रा के दौरान एक विदेशी ज़मीन से प्रधानमंत्री पर प्रहार कर भारत की छवि को कमजोर कर रहे हैं। पिछले साल मई माह में लिखे गए प्रसिद्ध पत्रकार श्रवण गर्ग के इस आलेख से इस बात की थोड़ी जानकारी मिल सकती है कि अपनी विदेश यात्राओं के दौरान मोदी बतौर पीएम विदेशों में हमारे अतीत के नायकों को किस तरह पेश करते हैं !
समाजवाद भारतीय संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा है। बीजेपी के दस्तावेज़ों में ‘गाँधीवादी समाजवाद’ आज भी उसकी ‘पंचनिष्ठाओं’ में दर्ज है। इसके बावजूद योगी आदित्यनाथ ने समाजवाद की अवधारणा पर हमला किया। यह एक खतरनाक फासिस्ट सोच को बताता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर कर्नाटक में जो टिप्पणी की थी, वह क्या अपमानजनक नहीं थी? जानिए कांग्रेस से जुड़े पंकज श्रीवास्तव क्या लिखते हैं।
दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी के बाद से भ्रष्टाचार को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं? आख़िर भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी का यह हाल कैसे हुआ कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री को जेल जाना पड़ा?
कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में राहुल गांधी के भाषण के मायने क्या हैं? आख़िर राहुल के भाषण के दौरान उनकी मां सोनिया गांधी राहुल की ओर क्यों नहीं देख रही थीं?
इस साल कई राज्यों में चुनाव है और उन्हें 2024 की रिहर्सल माना जा रहा है। लेकिन तमाम राज्यों में बीजेपी तमाम तरह के संकटों से जूझ रही है। पार्टी पर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की पकड़ ढीली पड़ने की बातें कही जा रही हैं।
देश की नज़रें इस समय कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन पर हैं। क्या इसमें कुछ ठोस होगा? क्या राहुल के गुणगान से ज़्यादा भी कुछ होगा और विपक्षी एकता को लेकर क्या राहुल गांधी कुछ करेंगे?