दो मुस्लिम युवकी की हत्या के मुख्य आरोपी मोनू मानेसर को लेकर हिन्दू संगठन जुलूस निकाल रहे हैं। उसके बारे में जानकारियां सामने आ रही हैं, उससे गोरक्षा का खूंखार चेहरा सामने आ रहा है। मुसलमानों को विद्वेष की राजनीति के नाम पर कब तक इस तरह शिकार बनाया जाता रहेगा।
छापों का यह मोदी युग है। छापों के दम पर विपक्ष की आवाज को दबाने का यह खेल नौ वर्षों से खेला जा रहा है। बीएसपी प्रमुख मायावती का उदाहरण सामने है। आज बीएसपी कहां है। अगर विपक्ष ने धारदार तरीके से मोदी युग के छापों का विरोध नहीं किया तो उसे इसकी कीमत चुकाना पड़ेगी।
विश्व हिन्दी सम्मेलन 1975 से हो रहा है। 12वां सम्मेलन अभी-अभी फिजी में खत्म हुआ। लेकिन जिस हिन्दी को लेकर भारत सरकार इतना सक्रिय रहती है, वो आज भी रोजगार की मुख्य भाषा नहीं बन पाई है। वरिष्ठ पत्रकार वंदिता मिश्रा बता रही हैं कि हिन्दी की राजनीति क्या हैः
विदेशी अरबपति निवेशक जॉज सोरोस की अडानी, मोदी और भारतीय लोकतंत्र पर टिप्पणी से देश में तूफान उठ खड़ हुआ है। लेकिन सोरोस की टिप्पणी को समझने की जरूरत क्यों है, बता रहे हैं यूसुफ किरमानीः
क्या भारत में संसदीय लोकतंत्र को खतरा पैदा हो चुका है। आखिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नोटिस देना और बीजेपी का उस पर एक्शन के लिए अड़ना क्या बताता है। पीएम मोदी के गरिमाविहीन भाषण पर देश चुप है लेकिन मोदी-अडानी रिश्तों पर बोलने वाले राहुल गांधी को कोई आजादी नहीं है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव के इस लेख को पढ़िएः
अडानी के मामले में पीएम मोदी उनसे रिश्तों का अब चाहे लाख छिपाना चाहें, वो छिप नहीं सकता। देश में यह संदेश साफ जा चुका है कि अडानी-मोदी रिश्ते बहुत साफ हैं। इसे चाहकर भी नहीं छिपाया जा सकता।
क्या कांग्रेस और नेहरू को कोसकर प्रधानंमंत्री मोदी अडानीगेट को छिपा सकते हैं। पिछले नौ साल से पीएम मोदी कांग्रेस और नेहरू को कोस रहे हैं। लेकिन सच को सामने आने से नहीं रोका जा सका।
एथेनाॅल परियोजना से जुड़ा एक तर्क है जो शायद अगले आम चुनाव तक चले। कहा जा रहा है कि इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा?
अडानी पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चुभते सवालों का पीएम मोदी ने जिस तरह जवाब दिया है, वो देश ने देखा, सुना और समझा। आखिर प्रधानमंत्री ने ऐसा क्यों किया, बता रहे हैं पंकज श्रीवास्तव...
राम चरित मानस की एक चौपाई को लेकर उठे विवाद पर स्वतंत्र पत्रकार ओम प्रकाश सिंह ने दार्शनिक, अवध विश्वविद्यालय के पूर्व शैक्षणिक सलाहकार, 'गांधी के राम' पुस्तक के लेखक डा अरुण प्रकाश से सच जानने के लिए बात की है। जानिए उनके विचारों को।
भारत जोड़ो यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि राहुल गांधी इसके जरिए नफरत नामक वायरस से सावधान करने का जो संदेश देना चाहते थे, वो उन्होंने आसानी से दिया। एक तरह गोडसे की विचारधारा है तो दूसरी तरफ गांधी की विचारधारा है। राहुल ने देश के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वो सही विचारधारा के साथ है।