ईद मुबारक! ईद आज मनाई जा रही है। आज सभी मुसलमान नए कपड़े पहनेंगे। ईदगाह जाएँगे। एक दूसरे के गले मिलेंगे। बाज़ार में पिछले एक महीने की शाम की रौनक़ से इसका अंदाज़ मिलता था कि आज के दिन का बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा था।
ईदगाह से निकलते मुसलमान के दिल की धड़कन से अपनी धड़कन न मिलाना चाहेंगे!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 1 Apr, 2025


तो ईद मुसलमानों की है। लेकिन इस ईद में क्या सिर्फ़ उन्हें मसर्रत का अहसास होना चाहिए? इस ईद भारत के हिंदुओं के लिए यह सवाल है कि क्या वे प्रेमचंद की निगाहें हासिल न करना चाहेंगे और ईदगाह से निकलते मुसलमान से गले मिलकर उसके दिल की धड़कन से अपने दिल की धड़कन न मिलाना चाहेंगे?
यह संयम और पवित्रता की याद दिलानेवाला त्योहार है। मेल जोल का, मिल्लत का भी। और उससे ख़ुशी का भी। आज मीठी ईद है। लेकिन गोश्त पर पाबंदी नहीं है। आप सेवइयों की कितनी क़िस्मों से वाक़िफ़ हैं? यह इससे तय होगा कि ईद में कितने मुसलमानों के घर आप जाते हैं। ईद की ख़ुशी हर रोज़ मिलनेवाली ख़ुशी से क़तई अलग है। आख़िर कभी वक़्त था कि मुसलमान ही नहीं हिंदू भी किसी से अरसे बाद मिलने पर कहा करते थे कि आज हमारी ईद हो गई। यह दुर्लभता की भी प्रतीक है। आप तो ईद के चाँद हो गए हैं, यह शिकायत सिर्फ़ मुसलमान उससे नहीं किया करते थे जिससे मिलना चाहते तो थे लेकिन वह मुलाक़ात ईद थी। ईद और दीद में तुक मिलती है लेकिन यह वह दीद ख़ास है जो ईद के चाँद की हुआ करती है।

























