आरएसएस-बीजेपी परिवार गाँधीजी को अपमानित और नीचा दिखाने का कोई मौक़ा नहीं गँवाती है। इस ख़ौफ़नाक यथार्थ को झुठलाना मुश्किल है कि देश में हिंदुत्व राजनीति के उभार के साथ गाँधीजी की हत्या पर ख़ुशी मनाना और हत्यारों का महिमामंडन और उन्हें भगवान का दर्जा देने का एक संयोजित अभियान चलाया जा रहा है। गाँधीजी के शहादत दिवस (जनवरी 30) पर गोडसे की याद में सभाएँ की जाती हैं, उसके मंदिर, जहाँ उसकी मूर्तियाँ स्थापित हैं, में पूजा की जाती है। गाँधीजी की हत्या को 'वध' (जिसका मतलब राक्षसों की हत्या है) बताया जाता है।
यह सब कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों या लोगों द्वारा ही नहीं किया जा रहा है। मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही महीनों के बाद बीजेपी के एक वरिष्ठ सांसद साक्षी महाराज ने गोडसे को 'देश-भक्त' घोषित कर दिया। आरएसएस की चहेती साध्वी, प्रज्ञा ठाकुर, जो संसद सदस्य भी हैं, ने 2019 में फिर से गोडसे को देशभक्त क़रार दिया। इस तरह का वीभत्स प्रस्ताव हिन्दुत्वादी शासकों की गोडसे के प्रति प्यार को ही दर्शाता है।