मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर भड़का सांप्रदायिक उन्माद थमने के बीच, गेहूं के साथ घुन के भी पिस जाने जैसी कहानियां हर दिन सामने आ रही हैं। खरगोन दंगों में ‘घुन’ की तरह पिस जाने वालों में कुछ हिन्दू भी हैं, लेकिन मुसलिमों की संख्या बहुत ज्यादा है। ऐसी ही कहानियों की फेहरिस्त में नाम जुड़ा है, 38 साल के वसीम अहमद शेख का।
दिव्यांग वसीम की गुमटी पर भी चला शिवराज का बुलडोजर
- मध्य प्रदेश
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- 19 Apr, 2022


खरगोन में हुए सांप्रदायिक दंगों की मार वसीम अहमद शेख पर भी पड़ी है। प्रशासन ने बिना कोई नोटिस दिए उनकी गुमटी को उजाड़ दिया। उनके सामने आजीविका चलाने की बड़ी मुश्किल खड़ी हो गयी है।
वसीम शेख की कहानी बेहद दर्दनाक और मन को झकझोर देने वाली है। वे हुनरमंद थे। पेंटिंग (पुताई) का काम किया करते थे। काम करते हुए 17 साल पहले बिजली के झटके ने उनके सपनों को बिखेर दिया था।
दुर्घटना में दोनों हाथों को खो देने के बाद भी वसीम ने हार नहीं मानी। संघर्ष करते रहे।

























