केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन को छह महीने पूरे हो चुके हैं। यह आंदोलन न सिर्फ़ मोदी सरकार के कार्यकाल का बल्कि आज़ाद भारत का ऐसा सबसे बड़ा आंदोलन है जो इतने लंबे समय से जारी है।
सरकार के नये डिजिटल नियमों को लेकर वाट्सऐप द्वारा मुक़दमा किए जाने के बाद सरकार ने सरकार ने कहा है कि वह नागरिकों की निजता के अधिकार के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन यह तार्किक प्रतिबंधों के अधीन ही है।
2014 के मुक़ाबले 2021 में आज भारत कहाँ खड़ा है, आम भारतीय किस स्थिति में हैं? मोदी सरकार के 7 साल के शासनकाल में जहाँ जीडीपी की विकास दर घटती चली गयी, वहीं देशवासियों पर कर्ज बढ़ता चला गया।
भारत सरकार ने कहा है कि फाइजर और मॉडर्ना कंपनियों के पहले से ही ऑर्डर फुल हैं। यानी भारत को अभी इन कंपनियों की वैक्सीन के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति क्यों आई?
कांग्रेस की कथित ‘टूलकिट’ पर ‘मैनिप्युलेटेड मीडिया’ टैग के मामले को लेकर केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच चल रही तनातनी के बीच दिल्ली पुलिस ने ट्विटर के कार्यालयों पर छापे मारे हैं। इनमें ट्विटर के दिल्ली के लाडो सराये और गुरुग्राम के कार्यालय शामिल हैं।
देश जब दवा, बेड्स, इलाज, ऑक्सीजन और टीके के अभाव में मौत सामने देख रहा है, देर से ही सही, प्रधानमंत्री के सांत्वना और भरोसे के दो शब्द देशवासियों ने सुने।
‘ऑक्सीजन’ पर सुप्रीम कोर्ट ने एक फ़ैसला लिया, दिया नहीं! फ़ैसला यह है कि मोदी की केंद्रीय सरकार जिसने ऑक्सीजन के देशव्यापी वितरण के सारे हक़ अपने आपके लिए कर लिये थे, वह अपने काम को संतोषजनक ढंग से नहीं कर सकी।
बीजेपी के तमाम नेता और केंद्रीय मंत्रियों का अक्सर कहते रहे हैं कि वे राहुल गांधी की किसी भी बात को गंभीरता से नहीं लेते। लेकिन होता यह है कि राहुल के सुझाव को ही आख़िरकार सरकार मानती है।
मोदी सरकार सरकारी संपत्ति बेचने पर आमादा है। सरकार के आठ मंत्रालयों ने उन संपत्तियों की सूची बनाई है जिनको बेचकर सरकार 2.5 लाख करोड़ की उगाही करेगी। देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ दिनभर की बड़ी ख़बरें
पेट्रोल-डीजल-गैस के बेलगाम बढ़ते दाम का असर लोगों की जेब पर पड़ने लगा है और आने वाले दिनों में जेब का सुराख और बड़ा होता चला जाएगा। क्या मोदी सरकार महंगाई से जनता में उभरते जनाक्रोश को देख नहीं पा रही है?
कोरोना की वैश्विक महामारी ने एक साल पहले जब भारत को अपनी चपेट में लेना शुरू किया था तब केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों ने सीएए और एनआरसी वाले आंदोलन को दबा दिया था। अब किसान आंदोलन है।
बुद्धिजीवियों को सरकार क्यों कहती है आतंकवादी? आंतरिक मामले बताकर सरकार लगा रही है स्वतंत्र और साफ चर्चा पर रोक? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास की रिपोर्ट। Satya Hindi
देश में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से ज़्यादा हो गया है। पहले जब 71 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल था तो बीजेपी शोर मचाती थी, क्या वह वैसी हायतौब मचा रही हैं?
सरकार ने सुधारों के नाम पर जनता के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस को बयानबाजियों और दूसरे के धरनों व रैलियों में जाने से इतर अपनी रणनीति साफ़ करने की ज़रूरत है।
14 जनवरी के बाद कभी भी कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। कैबिनेट के विस्तार में बिहार से सुशील मोदी के अलावा चिराग पासवान को मंत्री बनाए जाने की प्रबल संभावना है।