न्यूयॉर्क टाइम्स की हालिया रिपोर्ट के बाद पेगासस मामला फिर से चर्चा में आ गया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत सरकार ने 2017 में इजरायल के साथ हुई डिफेंस डील के तहत इस जासूसी सॉफ्टवेयर को खरीदा था।
पेगासस के मामले में केंद्र सरकार एक बार फिर बुरी तरह घिर गई है। सवाल यह उठता है कि क्या जनता के धन से किसी भी सरकार द्वारा उसके ही ख़िलाफ़ जासूसी करने के हथियार ख़रीदे जा सकते हैं?
सीपीएम और सीपीआई ने राज्यसभा में पेगासस पर बहस के लिए नोटिस दिया था लेकिन राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने उनके नोटिस को रिजेक्ट कर दिया। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूरी तैयारी कर ली है।
पेगासस स्पाईवेयर से कथित तौर पर जिन मोबाइल फोन को निशाना बनाया गया था क्या उसमें अभी भी जासूसी किए जाने के कुछ निशान बचे हैं? जानिए विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट पैनल से क्या कहा।
प्रधानमंत्री की जानकारी के बिना क्या किसी मंत्री या अफसर की हिम्मत है कि वह देश के नागरिकों पर पेगासस से जासूसी कर सके? क्या बजट सत्र में केंद्र सरकार इस पर जवाब देगी?
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर कहा है कि पेगासस पर झूठ बोलने के लिए केंद्र सरकार के आईटी मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया जाएगा। जानिए और क्या कहा चौधरी ने।
पेगासस पर नया खुलासा होने के बाद केंद्र सरकार विवादों में घिरती जा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और बीएसपी प्रमुख मायावती ने सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। जानिए पूरी बात।
मोदी सरकार पेगासस मुद्दे पर फिर से निशाने पर है। इस मामले में सरकार की तरफ़ से सफाई तो नहीं आई है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने भारत इजरायल के संबंधों के 30 वर्षों पर संदेश जारी किया है।
पेगासस जासूसी मामले में न्यूयॉर्क टाइम्स के ताजा खुलासे का जवाब देने की हिम्मत बीजेपी ने नहीं की लेकिन मोदी कैबिनेट के मंत्री जनरल वी. के. सिंह ने न्यूयॉर्क को सुपारी मीडिया बता डाला। जनता ने इसका क्या जवाब दिया, पढ़िए।
सुप्रीम कोर्ट पैनल ने उन लोगों से सूचना मांगी है, जिनके मोबाइल डिवाइस में पेगासर मैलवेयर के जरिए जासूसी की गई। ऐसे लोग 7 जनवरी की दोपहर तक अपना मोबाइल और सारी जानकारी पैनल के पास जमा करा दें।