फ़िल्म सम्राट पृथ्वीराज रिलीज के पहले दिन कुछ ख़ास क्यों नहीं कर सकी? आख़िर 300 करोड़ की लागत से बनी इस फ़िल्म में क्या है ख़ास, पढ़िए फ़िल्म समीक्षा में।
डिज़्नी हॉटस्टार पर आई फ़िल्म ‘ए थर्सडे’ की समीक्षा में पढ़िए कैसे आम महिला के दुखद, पीड़ादायक अतीत, उसके साथ हुए जघन्य अपराध, अन्याय और अपराधियों के छुट्टा घूमते रहने पर पैदा हुए ग़ुस्से को कैसे पेश किया गया है।
महेश भट्ट् वूट सेलेक्ट पर वेब सीरीज़ ‘रंजिश ही सही’ में फिर अपनी और परवीन बाबी की प्रेम कहानी को ओटीटी के दर्शकों के लिए नये रंगरूप में सामने लेकर आये हैं।
सावरकर को ‘वीर’ कहने और अंग्रेजों से उनकी माफ़ी का मुद्दा जब राष्ट्रवादी विमर्श के बहाने गरमाया हुआ है, इसी बीच शूजीत सरकार की फ़िल्म सरदार उधम आई हुई है। पढ़िए, फ़िल्म समीक्षा कैसे उन्होंने माफ़ी की सलाह ठुकरा फाँसी के फंदे पर झूल गए थे।
‘द फ़ादर’ डिमेंशिया के मरीज़ और उनकी बेटी के रिश्ते की कहानी है। इनके किरदार में आपको किसी परिचित बुज़ुर्ग की झलक दिखाई दे यह बहुत मुमकिन है। पढ़िए ‘द फ़ादर’ फ़िल्म की समीक्षा।