यूपी में समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी भाजपा शैली में शुरू कर दी है। पार्टी पिछले एक साल में कई स्तर के चुनाव हार चुकी है और उसे अब समझ में आ गया है कि बिना कैडर के पार्टी आगे नहीं बढ़ सकती। क्या है उसकी तैयारी जानिएः
क्या यूपी की राजनीति करवट ले रही है। शहरी निकाय चुनाव के आंकड़े बता रहे हैं कि मुस्लिम मतदाता अब सपा-बसपा से बतौर डिफाल्ट नहीं जुड़ा है। उनकी वोटिंग का पैटर्न बता रहा है कि उनकी पंसद अब छोटी पार्टियां और यहां तक की भाजपा भी है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कल बुधवार को होटल में महंत राजूदास और उनके समर्थकों के बीच मारपीट को ओबीसी बनाम सवर्ण मुद्दा बना दिया है। उनका कहना है कि बीजेपी वाले मेरी हत्या की साजिश रच रहे हैं। यह सब तब से हो रहा है जब से मैंने राम चरित मानस की दलित और महिला विरोधी चौपाई की निन्दा की है।
यूपी में ओबीसी राजनीति फिर से तेज होने जा रही है। हाईकोर्ट ने आज मंगलवार को स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण रद्द कर दिया है। बीजेपी आरोपों से घिर गई है, क्योंकि हाल के वर्षों में ओबीसी वोट का सबसे ज्यादा फायदा उसी को मिला है। ओबीसी पॉलिटिक्स का पूरा गणित समझने के लिए इस रिपोर्ट को पढ़िएः
यूपी की राजनीति में बदलते घटनाक्रमों के बीच बीएसपी प्रमुख मायावती ने आज मंगलवार 20 सितंबर को योगी सरकार पर फिर हमला बोला। योगी सरकार पर लगातार हमले का आज दूसरा दिन है। अभी तक मायावती दबी जुबान से ही बीजेपी सरकार की आलोचना की है।
ओमप्रकाश राजभर क्या फिर से एनडीए में लौट सकते हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही यह चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी उनके संपर्क में है। अब दो नेताओं से उनकी मुलाक़ात के बाद उनके एनडीए में लौटने की चर्चा तेज हो गई है।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बीजेपी संसदीय बोर्ड में लाकर पार्टी 2024 का नेरेटिव सेट करना चाहती है। इसके पीछे बहुत गहरी राजनीति और रणनीति काम कर रही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज रहस्योद्घाटन किया कि पार्टी ने इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती को सीएम पद की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने डर की वजह से उसे स्वीकार नहीं किया।
द कश्मीर फाइल्स फिल्म के लिए बीजेपी नेता कुछ भी करने को तैयार हैं। बेशक इसके लिए उन्हें बंद सिनेमा हॉल को फिर से खुलवाना पड़े। ऐसा ही कुछ उन्नाव में हुआ।
ओमप्रकाश राजभर ने 2017 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था और वह 2 साल तक योगी सरकार में मंत्री रहे थे। अगर राजभर एनडीए में लौटते हैं तो यह सपा गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा।