अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत लेकिन क्यों नहीं बढ़ेगा रोज़गार? सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को दी हरी झंडी। मध्यप्रदेश में झड़प के एक दिन बाद ही घर क्यों ढहाए गए? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का विश्लेषण। Satya Hindi
बेरोज़गारी के जो नये आँकडे आये हैं वो और भी बड़े संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। लॉकडाउन ख़त्म होने और अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के शुरुआती संकेत मिलने के बावजूद दिसंबर में बेरोज़गारी की दर पिछले छह महीनों में सबसे ऊपर दर्ज की गई।
कैसे बेरोज़ागीर से जुड़ गया बिहार का नाम? मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था को समझने के लिए लोग ही नहीं? और नोटबंदी की तारीफ़ करने का किसको मिला इनाम? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास की जाने माने अर्थशास्त्री और योजना आयोग के पूर्व सदस्य अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा से खास बातचीत।
सितंबर महीने में महंगाई यानी मुद्रास्फीति की जो दर 7.34 फीसदी के रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंच गई थी उसका सबसे बड़ा कारण था खाद्य वस्तुओं यानी खाने-पीने के जरूरी सामान का महंगा हो जाना।
5 अप्रैल 2020 और 9 सितंबर 2020 की दो तारीख़ें ऐतिहासिक रहीं और रहेंगी। दोनों ही अवसरों पर रात 9 बजकर 9 मिनट पर समान तरह का एक्शन देखने को मिला। 9 सितंबर को बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुआ।
आज पाँच बजे शाम पूरे देश में बेरोज़गार युवाओं ने सरकार के कान तक अपनी बात पहुँचाने के लिये थालियाँ बजाईं । उन्होंने एक घंटे तक ट्विटर पर ट्रेंड भी कराया और बात सरकार के कान में पहुँच भी गई यह संकेत भी मिला पर मीडिया ज़रा भी न हिला , क्यों ? बता रहे हैं शीतल पी सिंह
सिर्फ़ 40 दिन में 69 लाख लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन दिया। बेरोज़गारी के भयावह संकट के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने 11 जुलाई को ही इस पोर्टल को लॉन्च किया है।
जुलाई में पचास लाख लोगों की नौकरी गई? अप्रैल से अब तक 1.9 करोड़ की! और कितने बेरोज़गार होंगे? किसका काम बचेगा, किसका जाएगा? भारत की सबसे बड़ी स्टाफिंग कंपनी टीमलीज़ के चेयरमैन मनीष सभरवाल से आलोक जोशी की बातचीत। Satya Hindi
मीडिया के ज़रिए सरकार देश के हाल से ध्यान बँटाने में कामयाब है । रिटायर्ड IAS राजू शर्मा, अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर सुरजीत दास और वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता से शीतल के सवालों का यही निष्कर्ष है । केंद्र सरकार ने राज्यों को जीएसटी का उनका हिस्सा तक देने से फ़िलहाल मना कर दिया है पर मीडिया चीन रफाल राम मंदिर पर ही केंद्रित है । ऐसा क्यों है?
लॉकडाउन के दौरान लगातार लोगों का रोज़गार छिन रहा है। और अब ये आँकड़ा बढ़कर 67 फ़ीसदी हो गया। अज़ीम प्रेम जी यूनिवर्सिटी के द्वारा सिविल सोसाइटी की 10 संस्थाओं के साथ किए गए सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। Satya Hindi