परिवार को लेकर लालू यादव की टिप्पणी के बाद पूरा देश 'मोदी का परिवार' अभियान चलाया गया। तो क्या उनके परिवार में किसान, मणिपुर की महिलाएँ, हाथरस की बेटियाँ भी आती हैं?
लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी तैयारी कर रही है। इस बीच खबर सामने आ रही है कि लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में बेरोजगारी दूर करने किए कई बड़े वादे किए जा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में घटती बेरोजगारी दर के दावों के बीच यह खबर चौंकाने वाली है कि राज्य में पुलिस भर्ती के लिए निकली 60 हजार पोस्ट के लिए 50 लाख आवेदन आए हैं। अभी अक्टूबर में यूपी में रोजगार मुहैया कराने पर एक रिपोर्ट जारी की गई थी। जानिए पूरी बात।
आरएसएस की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच हाल में स्व-रोज़गार पर जोर देता रहा है। तो क्या पहले सरकार इस पर जोर नहीं देती थी और सरकारी नौकरियों पर जोर देती थी। जानिए, सरकारी नौकरियों के लिए कौन ज़िम्मेदार।
प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक अपने 9 साल के कार्यकाल में क्या योगदान दिया है? नौजवानों के सपनों का क्या हुआ? क्या दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और स्त्रियों की स्थिति बदली?
पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 9वें रोजगार मेले के तहत 51 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र दिया है। ये वैसे युवा हैं जो पिछले कुछ दिनों में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में भर्ती हुए हैं।
चुनाव को देखते हुए सरकार भले ही नियुक्ति पत्र बाँटने का कार्यक्रम कर रही हो, लेकिन सरकारी नौकरियों की वास्तविक स्थिति क्या है, यह सरकारी कंपनियों के आए आँकड़ों से पता चल जाता है।
बेरोजगारी के दौर में रोजगार देने के अजीबोगरीब तरीके अपनाए जा रहे हैं! करोड़ों रुपये ख़र्च कर यदि सिर्फ़ कुछ गिने-चुने लोगों को रोजगार दिया तो इसे क्या कहेंगे!
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार के इस बजट पर बड़े सवाल खड़े किए हैं और इसे उनके 'मित्र' के लिए तैयार बजट क़रार दिया है। जानिए उन्होंने क्या क्या कहा।
राजनीतिक दल बेरोजगारी पर वादा करते हैं, सवाल खड़े करते हैं और जब सत्ता मिलती है तो उसी सवाल से भाग खड़े होते हैं। नरेंद्र मोदी से लेकर तेजस्वी यादव तक यही भयावह सच है।
हरियाणा में हर तीसरा शख्स बेरोजगार है। सितंबर में पिछली सीएमआईई रिपोर्ट आई थी। अब दिसंबर की रिपोर्ट आई है। हरियाणा बेरोजगारी में खुद अपने आंकड़े का रेकॉर्ड तोड़ रहा है। दूसरी तरफ सरकारी नौकरियों में ऐप्लिकेशन फॉर्म के नाम पर बेरोजगारों से पिछले 8 वर्षों में 205 करोड़ वसूले गए। पूरी जानकारी सिर्फ सत्य हिन्दी परः
बेरोजगारी, गरीबी, असमानता के जिन आंकड़ों को केंद्र की बीजेपी सरकार खारिज करती रही है, अब उनको उसी बीजेपी का मातृ संगठन आरएसएस खुलेआम स्वीकार क्यों कर रहा है? क्या हालत इतनी ख़राब है?