सुषमा स्वराज की बेटी बाँसुरी स्वराज को मैंने ‘नए भारत’ के बारे में हिंदी के बड़े-बड़े शब्दों को साइन कर्व के डिज़ाइन में बोलते देखा। वो युद्धोन्माद की भाषा में अपने लिए गर्व बटोरती पायी गईं। पर क्या वो असल में नए भारत के बारे में गंभीरता पूर्वक कुछ समझना जानना चाहती भी हैं? मेरे हिसाब से आज भारत जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है उन पर बोलने और बताने वाले नेता मिलते ही नहीं। किसी और के शौर्य और किसी और की शहादत को अपने राजनैतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने वाले नेताओं की फौज जरूर तैयार हो चुकी है। ‘नया भारत’, जिसे आगे ले जाने का दारोमदार देश के युवाओं और बच्चों पर है, नेता लोग जरा उनकी स्थिति पर भी विचार कर लें, बाकि लोगों को भी करना चाहिए।
‘नया भारत’ इतना मोटा और बीमार क्यों हो रहा है?
- विमर्श
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- 1 Jun, 2025

तेज़ी से बढ़ती मोटापे और बीमारियों की दर क्या 'नए भारत' की अस्वस्थ जीवनशैली का संकेत है? जानिए खानपान, तनाव, शहरीकरण और सिस्टम की उन वजहों को जो भारत को बीमार बना रही हैं।
नया भारत मोटा और बीमार हो रहा है! अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) द्वारा स्कूल जाने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर किए गए एक अध्ययन के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली के स्कूली बच्चों में मोटापा और हाइपरटेंशन की दर बहुत ऊँची है। अध्ययन के अनुसार, निजी स्कूलों में मोटापा सरकारी स्कूलों की अपेक्षा 5 गुना अधिक है। जहाँ सरकारी स्कूलों में यह मात्र 4.48% है वहीं निजी स्कूलों में इसका फैलाव 24.02% है। इसके अलावा यह भी एक तथ्य है कि 6-19 वर्ष की आयु के 9.2% बच्चों में ट्रंकल मोटापा पाया गया। ट्रंकल मोटापा मतलब मोटापे का वह स्वरूप जिसमें वसा (फैट) पेट और उसके चारों तरफ़ जाकर जमा होता रहता है। अध्ययन में एक और तथ्य सामने आया जिसमें 13.4% बच्चे सामान्य रूप से मोटे पाये जिसमें फैट का जमाव बराबर रूप से पूरे शरीर में होता है।